मैंने नहीं सोचा था कैंडिडैट में होगा चयन " प्रज्ञानन्दा
विश्व कप के प्रमुख सितारे बनकर उभरे भारत के 18 वर्षीय प्रज्ञानन्दा अब अपने अगले टूर्नामेंट की लिए खुद को तैयार करने में जुट गए है , 2727 लाइव रेटिंग के साथ विश्व के शीर्ष 20 में जगह बनाने वाले प्रज्ञानन्दा अब जल्द से जल्द अपनी रेटिंग और बढ़ाना चाहते है । चेसबेस इंडिया हिन्दी और पंजाब केसरी के लिए उन्होने निकलेश जैन से खास बातचीत की । प्रज्ञानन्दा नें मैगनस कार्लसन से खेलने का अनुभव , उनके क्या सीखा , अपने सबसे मुश्किल मुक़ाबले , अपनी माँ की खास देखभाल , अपने गुरु रमेश और विश्वनाथन आनंद के सहयोग से लेकर उनके कैंडिडैट में चयन और ग्रांड स्विस में खेलने के निर्णय के बारे में बातचीत की । पढे यह लेख और देखे विडियो फोटो - फीडे
हाल मे ही सबसे कम उम्र के विश्व कप उपविजेता रहे भारत के ग्रांड मास्टर आर प्रज्ञानन्दा नें विश्व टीम रैपिड शतरंज शुरू होने के ठीक पहले चेसबेस इंडिया और पंजाब केसरी के प्रतिनिधि निकलेश जैन से खास बातचीत की ।
निकलेश - बहुत बहुत बधाई प्रज्ञानन्दा आपके विश्व कप के शानदार प्रदर्शन के लिए , आप अपनी इस सफलता पर क्या कहना चाहेंगे ?
प्रज्ञानन्दा – धन्यवाद , यह शानदार एहसास है की मैं फाइनल तक पहुंचा , मैं अपने प्रदर्शन से बेहद खुश हूँ ।
निकलेश - इस टूर्नामेंट में आपने कई शानदार मुक़ाबले खेले पर अगर किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनोगे ?
प्रज्ञानन्दा – सारे मैच एक दूसरे से बिलकुल अलग थे ,जो सारे मैच मैंने क्लासिकल में जीते वो आसान थे जबकि अन्य चार जो मैंने टाईब्रेक में जीते वो बहुत मुश्किल थे ,अर्जुन के खिलाफ मेरा मुक़ाबला सबसे मुश्किल था जिसमें मेरी बहुत ऊर्जा लग गयी थी ।
निकलेश - क्वाटर फाइनल में आपका सामना आपके खास दोस्त अर्जुन एरिगासी से हुआ , वह कितना मुश्किल था और उस मुक़ाबले के लिए आपने खुद को मानसिक तौर पर कैसे तैयार किया ?
प्रज्ञानन्दा – हाँ वो मुश्किल मुक़ाबला था पर चूंकि हम साथ में तैयारी नहीं करते है तो उस नजरिए से यह अलग नहीं था, हमने खेल को संबंधो से अलग रखा , अर्जुन नें मैच में दो बार शानदार वापसी की तो यह खेलने के लिए एक मुश्किल मुक़ाबला था ।
निकलेश - विश्व कप में आपके अलावा गुकेश , विदित ,अर्जुन भी क्वाटर फाइनल में पहुंचे थे ,उनके खेल के बारे में आपका क्या कहना चाहेंगे ?
प्रज्ञानन्दा – चार लोगो का क्वाटर फाइनल पहुंचना बहुत बड़ी बात है ,सभी लोग अच्छा खेल रहे थे ,यह ऐसा फॉर्मेट है जहां एक गलती से आप विश्व कप से बाहर हो जाते है
निकलेश - मैगनस के खिलाफ फाइनल खेलना बाकी मुकाबलों से कितना अलग था , एक खिलाड़ी के तौर पर कार्लसन से आपने क्या सीखा है ?
प्रज्ञानन्दा – बाकी टूर्नामेंट की तुलना में यहाँ कार्लसन से खेलना बेहद अलग था ,बाकी जगह सिर्फ एक मुक़ाबला खेलना होता है यहाँ पर ना सिर्फ क्लासिकल बल्कि रैपिड और ब्लिट्ज़ के मुक़ाबले खेलने थे ,कार्लसन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी है और उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है , मैं सौभाग्यशाली था की ग्लोबल चैस लीग में हम एक टीम में थे ,और हम जब अलग अलग गेम के बारे में बात करते थे मैंने बहुत कुछ सीखा है ।
निकलेश - आप फीडे कैंडिडैट में चयनित होने वाले दूसरे भारतीय बन गए है क्या विश्व कप के पहले आपने ऐसा सोचा था ?
प्रज्ञानन्दा - नहीं मैंने बिलकुल नहीं सोचा था , यह टूर्नामेंट बहुत मुश्किल टूर्नामेंट है , आपको बिलकुल नहीं पता होता की कौन सा राउंड आपका आखिरी राउंड है और जैसा की मैंने विश्व कप में जाने के पहले इंटरव्यू में कहा था की मैंने खुद से कोई उम्मीद नहीं लगाई थी।
निकलेश - लोग कहते है आपकी माँ का आपकी सफलता में खास योगदान है , जब आप इस तरह का टूर्नामेंट खेलते है तो वह किस तरह से आपका ध्यान रखती है ?
प्रज्ञानन्दा - वो सब कुछ ध्यान रखती है, सब कुछ , मेरा काम सिर्फ तैयारी करना और खेलना होता है ।
निकलेश - हमने एक विडियो देखा जिसमें आप मैच के दौरान तनाव ना हो इसके बारे में सद्गुरु से सवाल पूछ रहे थे उसके बारे में बताए ,और क्या मैच के पहले आप ध्यान भी करते है ?
प्रज्ञानन्दा – नहीं मैं मैच के पहले ध्यान नहीं लगाता , हम 9 माह पहले रमेश सर मेरी बहन और कुछ और विद्यार्धी वहाँ थे और हमने कुछ बात की थी ।
निकलेश - इस बार पूरे भारत और दुनिया से रिकॉर्ड संख्या में लोगो नें आपको और विश्व कप को देखा ? क्या आपको लगता है की विश्व कप का फॉर्मेट शतरंज की प्रसिद्धि के लिए अच्छे है ?
प्रज्ञानन्दा – यह बाकी टूर्नामेंट की तुलना में बेहद रोमांचक है और यह दर्शको के नजरिए से भी अच्छा है, यह शायद एक मात्र अधिकृत नॉक आउट टूर्नामेंट है और यही बात इसे खास बनाती है ।
निकलेश - प्रज्ञानन्दा का अगला लक्ष्य क्या है ? और आने वाले टूर्नामेंट कौन से है ?
प्रज्ञानन्दा – मैं अपनी रेटिंग को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहता हूँ, मैं टाटा स्टील इंडिया, एशियन गेम्स और फीडे ग्रांड स्विस खेलूँगा
निकलेश - आप फीडे कैंडिडैट में चयनित होने के बाद भी ग्रांड स्विस खेलना चाहेंगे ?
प्रज्ञानन्दा – हाँ क्यूंकी इस तरह के मजबूत टूर्नामेंट बेहद कम होते है यह एक अनुभव होगा और मैं इसे छोड़ना नहीं चाहता ,इसीलिए मैं खेलूँगा ।
निकलेश - गुरु रमेश और आनंद जी का आपकी सफलता में कितना योगदान है ?
प्रज्ञानन्दा - निश्चित तौर पर बहुत ज्यादा, मैं रमेश सर के साथ 9 सालों से काम कर रहा हूँ और यह सिर्फ शतरंज के तकनीकी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है बल्कि उनके मुझे मानसिक और अन्य कई तरीको से मुझे सहयोग करते है इसके लिए उनका आभारी हूँ,
आनंद सर से मैं उनकी अकादमी वाका के तहत जुड़ा हुआ हूँ । और टूर्नामेंट के दौरान उनसे कई तरह खेल और उससे बाहर की बात होती है और उससे बहुत मदद मिलती है ।
निकलेश - राष्ट्रपति प्रधान मंत्री और बड़ी हस्तियों नें आपको बधाई दी कैसा लगता है ?
प्रज्ञानन्दा - मुझे बेहद अच्छा लगता है , मुझे खुशी है की लोग शतरंज पर ध्यान दे रहे है और नए लोग शतरंज खेलना शुरू करेंगे ।
निकलेश - आपकी बहन वैशाली से लगातार खेल पर बात होती थी , फाइनल के दौरान वह अस्वस्थ्य भी थी ?
प्रज्ञानन्दा - हम लगातार बात करते है पर फाइनल के समय वह स्वस्थ्य नहीं थी तो बात नहीं हो सकी पर मेरा ध्यान फाइनल पर था क्यूंकी मेरे पिता और मेरे सबंधी उसका ध्यान रख रहे थे ।
देखे पूरा विडियो इंटरव्यू