पदक जीतना मेरे लिए भी अप्रत्याशित- कोनेरु हम्पी
भारत की महानतम महिला शतरंज खिलाड़ी ग्रांड मास्टर कोनेरु हम्पी नें पिछले दिनो विश्व ब्लिट्ज शतरंज का रजत पदक जीतकर भारत को एक बार फिर समूचे विश्व के सामने गौरान्वित किया । विश्व रैपिड में इससे पहले हम्पी नें स्वर्ण और कांस्य पदक अपने नाम किए थे और अब विश्व ब्लिट्ज में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी भी बन गयी है । कोनेरु हम्पी की यह जीत वर्ष 2022 के समापन पर आई ,जहां एक और इसी वर्ष उन्हे शतरंज ओलंपियाड का पहला कांस्य पदक मिला तो दूसरी और फीडे कैंडिडैट और टाटा स्टील शतरंज जैसे टूर्नामेंट उनके लिए निराशा भी लेकर आए थे । हम्पी नें इस इंटरव्यू में चेसबेस इंडिया और पंजाब केसरी के लिए सयुंक्त तौर पर निकलेश जैन से बातचीत की पढे यह लेख
खास इंटरव्यू - ग्रांड मास्टर कोनेरु हम्पी
पिछले दिनो विश्व ब्लिट्ज शतरंज स्पर्धा में भारतीय नंबर एक महिला शतरंज खिलाड़ी ग्रांड मास्टर कोनेरु हम्पी नें रजत पदक जीतकर एक बार फिर भारत का तिरंगा दुनिया के सामने लहरा दिया । अर्जुन अवार्ड और पद्म श्री से सम्मानित ग्रांड मास्टर कोनेरु हम्पी नें पंजाब केसरी और चेसबेस इंडिया के लिए सयुंक्त तौर पर निकलेश जैन से कई महत्वपूर्ण विषयो पर बातचीत की ।
निकलेश - सबसे पहले आपको विश्व ब्लिट्ज़ का रजत पदक जीतने पर बधाई , कैसा रहा आपका यह सफर ?
कोनेरु हम्पी - धन्यवाद पर यह मेरे लिए भी काफी अप्रत्याशित पदक था ,खासतौर पर ब्लिट्ज़ में पहले दिन के बाद जब मैं पहले दो मुक़ाबले हार गयी और 0 -2 से शुरुआत हुई । पहले दिन 9 राउंड के बाद मैंने जो पाँच अंक बनाए थे वो सभी एक कमजोर विरोधियों के खिलाफ थे । तो जब मैं पहले दिन कमरे में वापस गयी और मैंने जाकर देखा की मैं कितनी रेटिंग खो रही हूँ , तो अगले दिन मेरी योजना बस कुछ रेटिंग अंको को वापस पाने की थी पर धीरे धीरे चीजे काम करने लगी ,मैंने दिन की जीत से शुरुआत की और फिर 2-3 राउंड के बाद लगा की मैं कल से काफी बेहतर खेल रही हूँ , मैं सारी चाले देख पा रही थी और तेज खेल पा रही थी जो अंत तक चला,मुझे लगता है की सबसे महत्वपूर्ण अंतिम दो राउंड में सबसे आगे चल रही खिलाड़ियों को पराजित करना रहा । पोलिना और तान को हराकर पीछे छोड़ना पदक जीतने का कारण रहा ।
निकलेश - वर्ष 2022 आपके लिए ओलंपियाड के पदक को छोड़ दे तो बहुत अच्छा नहीं गया था ,ऐसे मे विश्व रैपिड और ब्लिट्ज़ में आप क्या सोचकर गयी थी ?
कोनेरु हम्पी - जैसा आपने कहा साल 2022 मेरे लिए कुछ खास नहीं गया था ,पहले हिस्से में मैंने कोई टूर्नामेंट नहीं खेले ,मैंने सिर्फ मार्च में पीएसपीबी खेला था और फिर सीधे शतरंज ओलंपियाड खेला था ,तो मैं बोर्ड टच की कमी महसूस कर रही थी । जब मैंने शतरंज ओलंपियाड खेला तब भी मैं इसको महसूस कर रही थी की मैंने अपने शेप में वापस नहीं आ रही थी ,पर थोड़ा समय लगता है और कैंडिडैट में मैंने ओलंपियाड की तुलना मैं बेहतर खेला पर जब टाईब्रेक आया तो मैं तनाव को बेहतर तरीके से सम्हाल नहीं पायी । टाटा स्टील भी मेरे लिए निराशाजनक रहा । तो विश्व रैपिड ब्लिट्ज के पहले खराब टूर्नामेंट बीतने के कारण मैं खुद से यही कह रही थी की मुझे थोड़ा अच्छा खेल खेलना चाहिए । मैंने पदक और स्थानो के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था मैं सिर्फ थोड़ा अच्छा शतरंज खेलना चाहती थी ताकि मैं अपने स्तर का खेल सकूँ । रैपिड मे पहले दिन मैंने 3.5 अंक किए थे 4 राउंड में , रैपिड मैंने अच्छा खेला था बस देलियाना के खिलाफ वह हार के सिवा जहां मैंने h5 खेलने के बाद जैसे ही Nh6 आया मैंने गलती कर दी और हार गयी । रैपिड मैं मैंने ठीक खेला ,विजेता का स्कोर 8.5 था और मैंने 8 अंक किए जो अच्छा था । ब्लिट्ज़ बिलकुल ही अलग कहानी थी ,उसमें आपको एक नए आकार में जाना पड़ता है और कुछ मैच खेलने के बाद ही आप वह अहसास ले सकते है ।
निकलेश - जब कोनेरु हम्पी 15 -16 साल की थी और अब जब बड़ा नाम है , दोनों समय कोई असफलता मिलने पर आपकी प्रतिक्रिया में क्या अंतर है ?
कोनेरु हम्पी - नहीं मैं इसे बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती हूँ ,अगर मैं हारती हूँ तो मैं देखती हूँ की क्या गलतियाँ हुई और मेरी नियमित तैयारी में किस बात की कमी है, मैं बस उन बातो को समझने की कोशिश करके वापसी करने की कोशिश करती हूँ । मैं उस तरह की इंसान नहीं हूँ जो किसी हार की वजह से निराशा में डूब जाये ,तो खराब परिणाम यह मायने नहीं रखता मैं बस आगे बढ़ते रहती हूँ ।
मैं आपसे सहमत हूँ जब मैं युवा थी तब यह निश्चित तौर पर एकदम अलग था ,उस उम्र में जब आप एक खास समय में मैच हारते है तो आप बहुत निराश हो जाते है और संयम खोने लगते है और अब तुरंत अच्छा करना चाहते है पर उम्र और अनुभव के अनुसार बाते बदल जाती है अब मैं और शांत इंसान बन चुकी हूँ ,तब निश्चित तौर मैं इसे एक चुनौती के तौर पर लेती थी ।
निकलेश -आप नें विश्व महिला शतरंज के लगभग हरे बड़े रिकॉर्ड को तोड़ा है पर आज भी विश्व क्लासिकल चैंपियनशिप का खिताब आपसे दूर है ,इस बारे में आपका क्या कहना है ?
कोनेरु हम्पी - सही कहूँ तो मेरी कोई योजना नहीं है बल्कि मैं तो विश्व खिताब या पदक के बारे मैं बिलकुल नहीं सोच रही हूँ ,तो मैं जब भी टूर्नामेंट खेलती हूँ मैं बस कुछ अच्छे मुक़ाबले खेलना चाहती हूँ तो दर्शको को लगे की हाँ हम्पी इसी तरह खेलती है और बस यही मेरी प्रेरणा होती है । मैंने इससे पहले भी कई इंटरव्यू मैं यही कहा है की मुझे कोई पदक या खिताब जीतने की कोई आकांक्षा नहीं है । मैं बस खेल का आनंद लेना चाहती हूँ और खुद को बड़े स्तर के टूर्नामेंट के लिए तैयार रखना चाहती हूँ । मैं जो भी खिताब जीतती हूँ या पदक हासिल करती हूँ इसे एक अतिरिक्त बोनस मानती हूँ अपने खेल जीवन के लिए ।
निकलेश -भारत नें इस बार ना सिर्फ शतरंज ओलंपियाड का आयोजन किया बल्कि पहली बार एक साथ दो पदक जीते ,आपको भारतीय शतरंज किस दिशा में जाता नजर आता है ?
कोनेरु हम्पी - निश्चित तौर पर हम लगातार मजबूत होते देश जा रहे है ,लड़को के बारे मैं तो बात ही करने की जरूरत नहीं है ,अर्जुन , निहाल ,प्रज्ञानंदा और गुकेश ,मैं देख रही हूँ जहां भी वो खेलते है कोई ना कोई चर्चा के केंद्र में होता है और वह सब ऊंची उड़ान भर रहे है ,तो उनके बारे में तो कोई सवाल ही नहीं है उन सब नें अपनी प्रतिभा दिखा दी है । महिलाओं के बारे में बात करूँ तो हमारी एक नई पीढ़ी आ रही है ,जैसे वैशाली और सविता श्री और हम देखते है की अधिकतर यह युवा खिलाड़ी तामिलनाडु से सामने आ रहे है और हमें शायद देश के दूसरे हिस्से से भी खिलाड़ियों को खोजना होगा यह शायद एक कमी है ।
मुझे लगता है की तामिलनाडु से अभी भी अधिकता है ,क्यूंकी उनके पास एक शतरंज की संस्कृति है । खिलाड़ी है बहुत सारे प्रशिक्षक है और तामिलनाडु की सरकार भी शतरंज खिलाड़ियों को बहुत प्रोत्साहन दे रही है और इससे एक दूरगामी और बड़ा प्रभाव पड़ता है और इसी तरह युवा खिलाड़ी प्रेरित होते है और आगे बढ्ने के बारे में प्रयास करते है । जब मैं ग्रांड मास्टर बनी तक से लेकर अब तक नंबर बहुत बदल गए है निश्चित तौर पर हम एक आगे बढ़ते हुए देश है ।
निकलेश - महिला खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी ,जैसे सविता और वैशाली के बारे मे आपका क्या कहना है ?
कोनेरु हम्पी - वैशाली से मैंने स्पीड चैस में भी खेला है और मुझे लगता है की वह बहुत प्रतिभाशाली है ,ये युवा खिलाड़ी छोटे टाइम कंट्रोल में कमाल के खिलाड़ी है पर उन्हे क्लासिकल मैं भी खुद को और बेहतर करना होगा क्यूंकी वह अपने आप मे एक अलग खेल है जहां आपको अलग तरह की तैयारी और स्टेमिना की आवश्यकता होती है तो मुझे लगता है की उस क्षेत्र मे उन्हे और बेहतर होने की जरूरत है ।
निकलेश - जैसा की आजकल बहस चल रही है की रैपिड और ब्लिट्ज़ की बढ़ती लोकप्रियता से क्लासिकल शतरंज का क्या होगा ?आपका इस पर क्या सोचना है ?
कोनेरु हम्पी - मुझे लगता है की भविष्य छोटे टाइम कंट्रोल का होगा क्यूंकी मैं देख रही हूँ की बहुत सारे शतरंज के मुक़ाबले हो रहे है पर निश्चित तौर पर क्लासिकल भी अपनी जगह रहेगा पर रैपिड और ब्लिट्ज और प्रसिद्ध होंगे ।
निश्चित तौर पर किसी खिलाड़ी की असली दक्षता और क्षमता 100% सिर्फ क्लासिकल मे ही नजर आती है जहां भाग्य का हिस्सा बहुत कम होता है रैपिड और ब्लिट्ज की तुलना मे , कई बार क्या होता की खिलाड़ी बहुत अच्छी स्थिति मैं होता है पर कम समय के चलते स्थिति बदल जाती है पर क्लासिकल मैं ऐसी संभावना कम होती है और बेहतर खिलाड़ी ही सामने निकल कर आता है । तीनों फॉर्मेट की अपनी खासियत है पर कहीं ना कहीं मैं क्यूंकी पुरानी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करतीं हूँ मैं अभी भी क्लासिकल शतरंज को चुनुंगी ।
निकलेश जैन - भारतीय महिला शतरंज को आगे ले जाने के लिए क्या और प्रयास की जरूरत है ?
कोनेरु हम्पी - मुझे लगता है की अब हमारे पास काफी अच्छे टूर्नामेंट है । फीडे भी ग्रां प्री कैंडिडैट जैसे टूर्नामेंट आयोजित कर रहा है ,अगर भारतीय शतरंज की बात करे तो जैसे टाटा स्टील टूर्नामेंट हुआ ,पहला महिला टूर्नामेंट हुआ जिसने बहुत सारे दर्शको को भी आकर्षित किया ,महिला ग्रां प्री भी भारत में होने जा रही है । इसके अलावा शायद आमंत्रण टूर्नामेंट भी शायद भारतीय खिलाड़ियों के लिए अच्छे हो सकते है , जहां भारतीय महिला खिलाड़ी और विदेशी खिलाड़ी भी खेले ,और हम देखे तो महिला खिलाड़ी ओपन टूर्नामेंट भी खेल सकती है तो मुझे लगता है की यह स्थिति बहुत अच्छी है जहां वह खुद को और बेहतर कर सकती है । तो अभी सब अच्छा चल रहा है और स्थितियाँ पहले से बहुत अच्छी हुई है ।
निकलेश जैन -आपके वर्ष 2023 को लेकर खेलने की क्या योजना है ?
कोनेरु हम्पी - मैंने अभी तक कोई टूर्नामेंट खेलना तय नहीं किया है । शायद इस सप्ताह मैं किसी निर्णय पर पहुँच सकूँ ।
निकलेश जैन -इस वर्ष दिल्ली में होने वाली फीडे ग्रां प्री में खेलेंगी ?
कोनेरु हम्पी - हाँ ग्रां प्री फरबरी मे जर्मनी में होने वाला है और फिर भारत में भी पर मैंने अभी तक निर्णय नहीं लिया है की मैं खेलूँ या ना खेलूँ ,क्यूंकी मैंने एक ग्रां प्री पहले ही नहीं खेला था कजाकिस्तान में , और मुझे यह भी लगता है की इस तरह से कैंडिडैट का होना ( पिछला थोड़ा अजीब फॉर्मेट में हुआ )अंतिम समय में डबल राउंड रॉबिन से हटकर प्ले ऑफ के आधार पर और ऐसे में यह फॉर्मेट मुझे रोचक नहीं लग रहा है । आपके पास पहले से ही एक विश्व चैंपियनशिप नॉक आउट फॉर्मेट में है ,ग्रां प्री का उद्देश्य क्लासिकल विश्व चैम्पियन देना है ,जीतने वाले को टाइटल मैच खेलना होता है मौजूदा विश्व चैम्पियन के साथ और ग्रां प्री से आपको प्ले ऑफ फॉर्मेट खेलना है और मैं इस फॉर्मेट को लेकर खुश नहीं हूँ और इसीलिए मैं इसे खेलने और ना खेलने के बारे में सोच रही हूँ ।
Humpy is not happy with the @FIDE_chess Women World chess Championship cycle, she has some serious points #womeninchess #interview @humpy_koneru
— Niklesh Jain (@nikchess) January 6, 2023
Watch Grand Master Koneru Humpy's full interview on @ChessbaseHindi @ChessbaseIndia YouTube :- https://t.co/fWuT4P9ECD pic.twitter.com/NNknNkNzxT
निकलेश जैन - विश्व रैपिड और ब्लिट्ज़ में आपके कोई सबसे ज्यादा पसंदीदा मुक़ाबले ?
कोनेरु हम्पी - वैसे तो ब्लिट्ज़ के दूसरे दिन लगभग हर मुक़ाबला क्यूंकी मैंने बहुत आनंद उठाया ,पर फिर भी अंतिम दो मुक़ाबले बेहद अच्छे थे ।
हम्पी का पोलिना शुवलोवा से 16 वे राउंड में मुक़ाबले का विडियो
अंतिम राउंड में विश्व रैपिड चैम्पियन तान ज़्होंगाई के खिलाफ बाजी